चुटकी भर ख्वाब हैं बस,बूँदें हैं, आबशार हैं सब
करम ऐ आशिकी है जो ये रह गए , वरना जिंदगी ले गए थे, वो गए थे जब.
ख्वाब तो फिर भी ख्वाब ही हैं,
क्या सच्चे और झूठे क्या.
ख्वाबों की तामील हो हर पल,
ऐसा मैंने सोचा कब.
पलकों के इस गाँव मैं लेकिन,
ख्वाब जब उनके बसते थे,
ईद सा हर दिन होता था,
ये गाँव मेरा वीरान था कब?
चुटकी भर ख्वाब हैं बस,बूँदें हैं, आबशार हैं सब.
एक रोज़ जो मेरे होटों पर,
होटों को रख तुम बोले थे,
"एक सांस में तुमको दे रही हूँ"
मेरा जीवन जी लो अब.
चुटकी भर ख्वाब हैं बस,बूँदें हैं, आबशार हैं सब
अब जो मेरे साथ नहीं तुम,
बस एक ये एहसान और करो,
एक सांस जो तेरी जी रहा हूँ,
उसको वापिस ले लो अब
चुटकी भर ख्वाब हैं बस,बूँदें हैं, आबशार हैं सब
करम ऐ आशिकी है जो ये रह गए , वरना जिंदगी ले गए थे, वो गए थे जब.
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