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I am a happy go lucky guy ,always happy and optimistic in life, and minds his own business. I believe that we should take each day as it comes cause life is very unpredictable. Hence, we should look to seize every moment.

Friday, December 31, 2010

आओ फिर से प्यार करें

आओ फिर से प्यार करें

फिर से मैं उस पेड़ के नीचे, तुम्हारा इंतज़ार करूं
और फिर से मैं कुछ मुड़े तुड़े नोटों से जेब अपनी भरूं
और पूंछू तुझसे
" कॉफ्फी पियोगी मेरे साथ"

गुजरू उसी साइकिल पर, फिर तेरी गली से
और देखूं तुझे गेट पर, उसी पीले कुर्ते में
फिर पौन्छु आंसूं तेरे, अपने हाथों से
फिर तेरे होंटों पर अपनी हंसी रख दूं

फिर से जाऊं तेरी बुआ के यहाँ
और पाऊँ न तुझे जब वहाँ
पूंछू तेरी बेहेनों से की तू है कहाँ

फिर गुजारूं रातें फिल्म देखकर
फिर तेरे हाथ से एक कप चाय का पीयूं
पडूं जो कभी बीमार तो तीमारदार तुझे बनाऊं
थक जाऊं कभी तो, ठंडी हवा की बौछार तुझे बनाऊं

फिर दूं पार्टी तेरे जन्मदिन पर
फिर से छुपकर तुझसे, तेरे दोस्तों को बुलाऊँ

आये जो ईद कभी, तो फिर पहुंचु तेरे घर पर
और छुप कर सबसे तेरे गालों पर ईदी दे जाऊं
और जब आये दीवाली, तो जिद करून तुझसे नए कपड़ों की
और फिर पेहें कर उनको सबके सामने इतराऊँ

फिर से जी लूं उस हसीं शाम को
फिर तेरे होटों की गर्मी अपने होटों पर ले आऊँ
फिर से में महसूस करून, तेरे बदन की हरारत को
फिर से अपने आगोश में तेरा जिस्म समेट लूं

सोचता हूँ अकेली रातों में
छत को तकते हुए में
की फिर तेरे साथ के वो सारे साल जी जाऊं.


दुशाला

आज फिर से चरखा निकला है
और फिर से उठाये हैं
कुछ बीते हुए नरम पलों के गुच्छे

इन्हें सुलझा कर, एक गरम दुशाला बनाऊँगा
और सहेज कर रख लूँगा उसको.
जब आँखों में वक्त की परतें जमने लगेंगी
जब चेहरे से उम्र का बोझ छलकने लगेगा
और जब जीवन की दोपहर ढलने लगेंगी

तब उस दुशाले को निकाल कर ओढ़ लूँगा
और जाते हुए वक्त को पकड़कर फिर से जवान कर दूंगा
फिर से जी लूँगा अपने बचपन को, अपने शैतान लड़कपन को
और प्यार भरी जवानी को

और जब आँखें धुंधलाने लगेंगीं, तो उसी दुशाले को ओढ़ कर
एक लंबी नींद सो जाऊँगा.

तेरी याद

दर्द-ए-दिल के आईने से,
तस्वीर-ए-यार जाती नहीं
मर मर के जीते हैं यहाँ
एक सांस अटकी है जो जाती नहीं.

दिन में तेरा एहसास
हमें जीने देता नहीं
रातें तनहा गुज़र जाती हैं
तू आँखों के सामने आती नहीं

घुल चूका है अक्स तेरा
मेरे वजूद-ए-तश्ना में
दे के गयी है जो ज़ख्म तू
क्यूँ आके उन्हें भर जाती नहीं

वो बीते पल याद आते हैं
जो हर पल आंसूं दे जाते हैं
अकेले यूँ जीना आसान नहीं
क्यूँ फिर भी मौत आती नहीं.