फिर से मैं उस पेड़ के नीचे, तुम्हारा इंतज़ार करूं
और फिर से मैं कुछ मुड़े तुड़े नोटों से जेब अपनी भरूं
और पूंछू तुझसे
" कॉफ्फी पियोगी मेरे साथ"
गुजरू उसी साइकिल पर, फिर तेरी गली से
और देखूं तुझे गेट पर, उसी पीले कुर्ते में
फिर पौन्छु आंसूं तेरे, अपने हाथों से
फिर तेरे होंटों पर अपनी हंसी रख दूं
फिर से जाऊं तेरी बुआ के यहाँ
और पाऊँ न तुझे जब वहाँ
पूंछू तेरी बेहेनों से की तू है कहाँ
फिर गुजारूं रातें फिल्म देखकर
फिर तेरे हाथ से एक कप चाय का पीयूं
पडूं जो कभी बीमार तो तीमारदार तुझे बनाऊं
थक जाऊं कभी तो, ठंडी हवा की बौछार तुझे बनाऊं
फिर दूं पार्टी तेरे जन्मदिन पर
फिर से छुपकर तुझसे, तेरे दोस्तों को बुलाऊँ
आये जो ईद कभी, तो फिर पहुंचु तेरे घर पर
और छुप कर सबसे तेरे गालों पर ईदी दे जाऊं
और जब आये दीवाली, तो जिद करून तुझसे नए कपड़ों की
और फिर पेहें कर उनको सबके सामने इतराऊँ
फिर से जी लूं उस हसीं शाम को
फिर तेरे होटों की गर्मी अपने होटों पर ले आऊँ
फिर से में महसूस करून, तेरे बदन की हरारत को
फिर से अपने आगोश में तेरा जिस्म समेट लूं
सोचता हूँ अकेली रातों में
छत को तकते हुए में
की फिर तेरे साथ के वो सारे साल जी जाऊं.